Satish Balram Agnihotri blog - In a Land of Dirt Roads

पर्यावरण को समतल से देशनिकाला देकर
सत्ता का मन जब नहीं भरा
अहंकारी विकास, अपनी रौ में
पहाड़ों की ओर चल पड़ा

सत्ता और पूंजी का, अदभुत गठबंधन
पहाडों के संसाधनों का, अब होगा दोहन
कटेंगे जंगल अब विकास के बहाने
बारूद से टूटेंगी बेबस चट्टानें
परंपराओं को धता बताती चौड़ी सड़कें
और दुतर्फा सजे हुए माल और दुकानें

सत्ता के रथ के पीछे दरबारियों के काफले
अवाम से बनाये रखेंगे सैलानी फासले
पहाड़ों पर अब तेजी से विकास होगा
समतल सी सुविधाओं का एहसास होगा

अपने ही घर से बेदखल होंगे पहाड़ी
पूंजी के आगे हतबल होंगे पहाड़ी

पूंजी का होता है अपना ही तर्क
पर्वत निवासियों से उसे पडता नहीं कोई फर्क

उसे चाहिये ये उंचे-उंचे पहाड़
और उनके नीचे दबी खनिज संपदा अपार

स्थानीयों को क्या करना है लेकर ये पहाड़ी
उन्हें मिल जायेगा उनका मुआवजा और दिहाड़ी

पर देश को अगर आगे बढ़ना है
तो पहाड़ों का यह गरूर तोड़ना है
नये विकास की गूंजेगी अब नयी दहाड.
सत्ता और पूंजी को बस चाहियें दरकते पहाड़

छवि सौजन्य: पिक्साबे

No comments on 'दरकते पहाड़ ...'

Leave your comment

In reply to Some User