Satish Balram Agnihotri blog - In a Land of Dirt Roads


(अकबर इलाहाबादी से क्षमायाचना सहित)

सन्नाटा है क्यूं बरपा एक छलांग ही तो मारी है
देश छोड़के नहीं भागा, गद्दारी नहीं की है ....
सन्नाटा है क्यूं बरपा ...

संसद में धुआं उट्ठा, बिखरे कुछ पर्चे हैं
देशद्रोही कहें हमको, सरकार की मर्ज़ी है
सन्नाटा है क्यों बरपा...

इन झूठ के वादों से, नौजवानों ने है पूछा
बेरोजगारी को क्या जानो, पूछो कभी झेली है
सन्नाटा है क्यों बरपा...

जुमलों से नहीं मतलब, दिल जिससे हो बेगाना
मक़सूद है नौकरी से, मुश्किल से जो मिलती है
सन्नाटा है क्यों बरपा....

हर जीत मिली तुझको, वोटर की सियाही से
हर इ वी एम कहती है, हम है तो ही कुर्सी है
सन्नाटा है क्यों बरपा...

सत्ता का नशा उनको, महंगाई में झुलसे हम
उनकी है अजब मंजिल, अपनी अलग मंजिल है
हंगामा है क्यों बरपा.....

छवि सौजन्य: पिक्साबे

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